बिहार में सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के चलते पुलिसकर्मी भी रील्स बनाने में पीछे नहीं रह रहे हैं, लेकिन इससे विभागीय अनुशासन पर भी सवाल उठने लगे हैं। ताजा मामला मुजफ्फरपुर जिले के विश्वविद्यालय थाने से सामने आया है, जहां दो महिला सिपाहियों द्वारा बनाए गए एक वायरल वीडियो ने पुलिस प्रशासन की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस वीडियो में दोनों महिला सिपाही एक भोजपुरी गाने पर रील्स बनाते हुए नजर आ रही हैं, जो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। इस रील्स के कारण पुलिस विभाग की आलोचना हो रही है, और वरीय अधिकारियों ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
वायरल हुए इस वीडियो में एक महिला सिपाही वर्दी में है, जबकि दूसरी सामान्य कपड़े में दिखाई दे रही है। बताया जा रहा है कि ये दोनों पहले एक ही थाने में तैनात थीं और थाना परिसर में ही साथ रहती थीं। उनके कई और रील्स पहले भी सोशल मीडिया पर सामने आ चुके हैं, जो उन्होंने पुलिस स्टेशन के भीतर या अन्य स्थानों पर बनाए थे। हालांकि, इस मामले पर जब अधिकारियों को जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत जांच शुरू करने का आदेश दिया। सिटी एसपी विक्रम सिहाग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच कराने का निर्णय लिया है।
इससे पहले वैशाली जिले में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जब डायल 112 पर तैनात तीन महिला सिपाहियों ने रील्स बनाए थे। उन पर विभागीय कार्रवाई भी की गई थी, और एक महिला सिपाही को सस्पेंड कर दिया गया था। वैशाली एसपी हरकिशोर राय ने कहा था कि वर्दी में रील्स बनाना पुलिस विभाग के अनुशासन का उल्लंघन है, और इससे कार्यकुशलता पर भी बुरा असर पड़ता है। बिहार पुलिस मुख्यालय ने भी पहले ही एक सख्त आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि कोई भी पुलिसकर्मी वर्दी में या हथियार के साथ रील्स नहीं बनाएगा। ऐसा करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि यह पुलिस की छवि और जिम्मेदारियों को कमजोर करता है।
बिहार में मौसम का करवट, 22 जिलों में ठंड ने मारी एंट्री; कई जगह छाया कोहरा
हालांकि, इन सख्त आदेशों के बावजूद पुलिसकर्मियों में रील्स बनाने की प्रवृत्ति कम होती नहीं दिख रही है। सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होते इन वीडियो से पुलिस की छवि पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। पुलिसकर्मियों का इस तरह रील्स बनाना न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि को बल्कि पूरे विभाग की विश्वसनीयता को भी प्रभावित कर रहा है। विभागीय स्तर पर इस तरह के मामलों को रोकने के लिए और कड़े कदम उठाने की मांग की जा रही है।
मुजफ्फरपुर का यह मामला भी उसी कड़ी में जुड़ता नजर आ रहा है, जहां पुलिसकर्मियों द्वारा बनाए गए वीडियो से पुलिस प्रशासन की साख पर बट्टा लग रहा है। अब देखना यह है कि इस मामले में जांच के बाद क्या कार्रवाई की जाती है और भविष्य में पुलिसकर्मियों पर इस तरह की गतिविधियों पर किस तरह की पाबंदियां लगाई जाती हैं।