क्या है वंशावली?
वंशावली किसी व्यक्ति, परिवार या समूह के पूर्वजों के वंश का विवरण है। इसमें परिवार के पूर्वजों की पीढ़ियों का लेखा-जोखा होता है। बिहार में जमीन सर्वेक्षण के दौरान, वंशावली प्रमाणपत्र को ग्राम कचहरी के सरपंच के हस्ताक्षर और मोहर से प्रमाणित किया जाएगा।
वंशावली बनवाने की प्रक्रिया
वंशावली बनवाने के लिए आवेदक को अपने परिवार की वंशावली सूची तैयार कर, शपथ पत्र के साथ ग्राम पंचायत सचिव को देना होगा। पंचायत सचिव इसे सात दिनों के भीतर जांचकर, जांच प्रतिवेदन ग्राम कचहरी सचिव को सौंपेंगे। ग्राम कचहरी सचिव इसे अभिलेख में दर्ज करते हुए, वंशावली प्रमाणपत्र जारी करने हेतु सरपंच को भेजेंगे। सरपंच के हस्ताक्षर और मोहर के बाद यह प्रमाणपत्र आवेदक को लौटा दिया जाएगा।
आवेदन कैसे करें?
वंशावली बनवाने के लिए आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाएं:
- वेबसाइट पर जाएं: DLRS बिहार की वेबसाइट पर जाएं।
- सेवाओं का चयन करें: वेबसाइट पर ‘विशेष सर्वेक्षण से संबंधित सेवाएं’ के विकल्प को चुनें।
- फॉर्म भरें: वंशावली फॉर्म को सही जानकारी के साथ भरें और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।
- सबमिट करें: फॉर्म को सबमिट करने के बाद, आपके आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
जागरूकता कार्यक्रम
मेसकौर प्रखंड क्षेत्र के 58 राजस्व गांवों में सर्वेक्षण को लेकर विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। गांवों में चौपाल लगाकर लोगों को वंशावली बनवाने और जमीन सर्वेक्षण के महत्व के बारे में जानकारी दी जा रही है। इस अभियान में पूर्व मुखिया उमेश यादव, नवल किशोर केसरी, और सुरेंद्र राजवंशी जैसे स्थानीय लोग भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
बिहार में जमीन सर्वेक्षण के तहत वंशावली का दस्तावेज़ अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए समय पर सही प्रक्रिया का पालन करते हुए इसे बनवाना सुनिश्चित करें।
सर्वे के दौरान इन कागजातों की होगी जरूरत
बिहार में चल रहे जमीन सर्वेक्षण के दौरान कुछ महत्वपूर्ण कागजातों की आवश्यकता होगी, जिन्हें जमीन के असली मालिकों को प्रस्तुत करना अनिवार्य है। ये कागजात सर्वेक्षण कर्मियों द्वारा मांगे जाएंगे और उनके सत्यापन के बाद जमीन से जुड़ी जानकारियों को अपडेट किया जाएगा। सर्वे के दौरान जिन प्रमुख कागजातों की जरूरत होगी, वे निम्नलिखित हैं:
1. वंशावली (Vanshavali)
- वंशावली किसी व्यक्ति, परिवार या समूह के पूर्वजों के वंश का विवरण होता है। इसे ग्राम कचहरी के सरपंच द्वारा हस्ताक्षरित और मोहरबद्ध प्रमाणपत्र के रूप में प्रस्तुत करना होगा।
2. जमीन का खसरा-खतियान (Khata-Khesra)
- खसरा-खतियान में जमीन का विवरण होता है, जिसमें जमीन का खाता नंबर, खेसरा नंबर, और जमीन की माप-जोख की जानकारी शामिल होती है। यह दस्तावेज जमीन के मालिकाना हक को साबित करने में अहम भूमिका निभाता है।
3. जमीन का रसीद (Land Receipt)
- जमीन का रसीद, जिसे मालगुजारी रसीद भी कहा जाता है, यह दिखाता है कि आपने सरकार को अपनी जमीन का टैक्स अदा किया है। यह दस्तावेज जमीन पर आपके स्वामित्व को प्रमाणित करता है।
4. जमीन का नक्शा (Land Map)
- जमीन का नक्शा आपकी जमीन की स्थिति और उसके आसपास की सीमाओं का विवरण प्रदान करता है। यह नक्शा सरकारी रिकॉर्ड से मेल खाना चाहिए।
5. पहचान पत्र (Identity Proof)
- पहचान प्रमाण के रूप में आधार कार्ड, वोटर आईडी, या पासपोर्ट जैसे दस्तावेज़ की आवश्यकता होगी। यह आपकी पहचान और आपकी जमीन के स्वामित्व की पुष्टि के लिए जरूरी है।
6. जाति प्रमाणपत्र (Caste Certificate)
- अगर आप किसी विशेष जाति या वर्ग से संबंधित हैं, तो जाति प्रमाणपत्र की आवश्यकता हो सकती है, विशेष रूप से अगर आपकी जमीन को जाति से संबंधित विशेष प्रावधानों के तहत वर्गीकृत किया गया है।
7. शपथ पत्र (Affidavit)
- यह एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें आप यह शपथ लेते हैं कि आपके द्वारा प्रस्तुत सभी जानकारी और दस्तावेज सत्य और सही हैं। शपथ पत्र वकील द्वारा प्रमाणित होना चाहिए।
8. जमीन का विल (Will)
- अगर जमीन किसी वसीयत (विल) के जरिए हस्तांतरित की गई है, तो उस विल की कॉपी प्रस्तुत करनी होगी। इससे साबित होगा कि जमीन का स्वामित्व सही तरीके से ट्रांसफर हुआ है।
इन कागजातों को समय पर और सही तरीके से प्रस्तुत करना आवश्यक है, ताकि जमीन सर्वेक्षण के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या से बचा जा सके।