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पप्पू यादव और रंजीता रंजन की लव स्टोरी: संघर्ष, जुनून और सच्चे प्यार की मिसा

Pappu Yadav Love Story: बिहार की राजनीति में अपनी दमदार छवि बनाने वाले राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव सिर्फ एक नेता ही नहीं बल्कि एक आशिक मिजाज इंसान भी हैं। उनकी प्रेम कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। उनकी पत्नी रंजीता रंजन से उनका प्यार, पहली नज़र का प्यार था, जिसे पाने के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया।

पहली नज़र का प्यार

बात 1991 की है, जब पप्पू यादव जेल में थे। पटना जेल में रहते हुए वे अक्सर जेल सुपरिटेंडेंट के आवास के पास मैदान में खेलते बच्चों को देखा करते थे। उन्हीं बच्चों में एक विक्की नाम का लड़का था, जिससे उनकी अच्छी दोस्ती हो गई। एक दिन विक्की के फैमिली एलबम में उन्होंने रंजीता की टेनिस खेलती हुई तस्वीर देखी। बस, यहीं से उनकी प्रेम कहानी शुरू हुई।

पहली नजर में ही रंजीता रंजन ने पप्पू यादव के दिल में अपनी खास जगह बना ली थी। जब पप्पू जेल से बाहर आए, तो वे अक्सर पटना क्लब जाते, जहां रंजीता टेनिस की प्रैक्टिस करती थीं। यह पप्पू के लड़की से मिलने और इंप्रेस करने के मौके तलाशने का दौर था। लेकिन रंजीता को यह सब पसंद नहीं था। वह शुरू में उनकी कोशिशों को नज़रअंदाज करती रहीं, लेकिन पप्पू हार मानने वालों में नहीं थे।

पटना से पंजाब तक प्यार का सफर

रंजीता ने पटना के मगध महिला कॉलेज से पढ़ाई की थी और बाद में उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। वहां भी वे टेनिस की प्रैक्टिस करती रहीं। वे नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर टेनिस खेलती थीं। पप्पू यादव ने रंजीता के प्यार में पटना से पंजाब तक के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। यह सिलसिला लगभग तीन साल तक चला, लेकिन पहले दो साल तक रंजीता को इसकी भनक तक नहीं लगी।

जब उन्हें पता चला कि पप्पू उनका पीछा कर रहे हैं, तो उन्होंने कड़े शब्दों में मना कर दिया। रंजीता ने यह भी बताया कि वे सिख परिवार से हैं और पप्पू यादव हिंदू हैं, इसलिए उनके परिवार वाले इस रिश्ते के लिए कभी राजी नहीं होंगे। लेकिन पप्पू कहां मानने वाले थे।

परिवार की नाराजगी और पप्पू का संघर्ष

अब प्रेम कहानी परिवार की मंजूरी तक पहुंची। रंजीता के माता-पिता इस शादी के सख्त खिलाफ थे। दूसरी ओर, पप्पू यादव के माता-पिता—चंद्र नारायण प्रसाद और शांति प्रिया—अपने बेटे की खुशी के लिए इस रिश्ते को स्वीकार कर चुके थे।

लेकिन रंजीता के माता-पिता को मनाने की चुनौती अभी बाकी थी। पप्पू ने सबसे पहले उनकी बहन और बहनोई को मनाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। इसी बीच कांग्रेस नेता एस.एस. अहलूवालिया की एंट्री हुई। पप्पू को पता चला कि रंजीता का परिवार उनकी बात को नहीं टालेगा। उन्होंने दिल्ली जाकर अहलूवालिया से मदद मांगी।

जब पप्पू ने खा ली नींद की गोलियां

इतनी कोशिशों के बावजूद जब कोई हल नहीं निकला, तो हताशा में पप्पू यादव ने नींद की गोलियां खा लीं। उन्हें तुरंत पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (PMCH) में भर्ती कराया गया। यह इस प्रेम कहानी का टर्निंग पॉइंट था। इस घटना के बाद रंजीता का व्यवहार उनके प्रति नरम पड़ गया।

इसके बाद धीरे-धीरे रंजीता के माता-पिता भी मान गए, और आखिरकार दोनों की शादी तय हो गई।

शादी के दिन चार्टर्ड विमान भटक गया!

शादी पूर्णिया के एक गुरुद्वारे में तय हुई थी। बाद में आनंद मार्ग पद्धति से भी शादी की योजना बनी। लेकिन शादी के दिन एक बड़ा ड्रामा हुआ। दुल्हन रंजीता और उनके परिवार को लेकर आ रहा चार्टर्ड विमान रास्ते में भटक गया। इससे पूरे आयोजन में अफरा-तफरी मच गई। अंततः जब विमान सुरक्षित पहुंचा, तो सबने राहत की सांस ली।

फरवरी 1994 में पूर्णिया की सड़कों को सजाया गया, सारे होटल और गेस्ट हाउस बुक कर दिए गए। इस शादी में चौधरी देवीलाल, लालू प्रसाद यादव, डीपी यादव और राज बब्बर जैसे बड़े नेता और अभिनेता शामिल हुए। आम लोगों के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई थी।

बिहार की पहली “पॉलिटिकल कपल” जोड़ी

शादी के बाद पप्पू यादव और रंजीता रंजन ने राजनीति में एक मजबूत जोड़ी के रूप में पहचान बनाई। बिहार की यह पहली जोड़ी बनी, जिसने एक साथ संसद में प्रवेश किया।

आज पप्पू यादव जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सांसद हैं, जबकि रंजीता रंजन कांग्रेस की पूर्व सांसद रह चुकी हैं। उन्होंने सुपौल से लोकसभा चुनाव जीता था।

एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान

पप्पू यादव हमेशा अपनी पत्नी की तारीफ करते नहीं थकते। वे उनकी ईमानदारी और बेबाक स्वभाव के कायल हैं। वहीं, रंजीता रंजन ने न सिर्फ राजनीति में बल्कि एक अच्छी पत्नी और मां के रूप में भी अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है।

सच्चा प्यार कभी हार नहीं मानता

पप्पू यादव और रंजीता रंजन की प्रेम कहानी सिर्फ इश्क और जुनून की दास्तान नहीं, बल्कि संघर्ष और जीत की मिसाल भी है। यह कहानी साबित करती है कि सच्चा प्यार किसी भी बाधा को पार कर सकता है, बस सच्ची नीयत और दृढ़ निश्चय होना चाहिए।

आज भी यह जोड़ी बिहार की राजनीति में मजबूती से खड़ी है और साथ में जीवन की इस खूबसूरत यात्रा को आगे बढ़ा रही है।

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