Tuesday, September 17, 2024
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मंत्री गिरिराज सिंह को कार छोड़कर क्यों बाइक से जाना पड़ा? जानिए बेगूसराय में क्या हुआ

बेगूसराय में उस वक्त अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई, जब बेगूसराय के सांसद सह केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को विरोध का सामना करना पड़ा और उन्हें अपनी कार छोड़कर बाइक से जाना पड़ा. दरअसल केंद्रीय मंत्री रविवार को एक दिवसीय दौरे पर बेगूसराय पर हैं और कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लेने के लिए जा रहे थे. इसी दौरान संविदा पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों ने मंत्री की कार को घेर लिया और विरोध प्रदर्शन करने लगे.

बता दें कि बेगूसराय में बिहार चिकित्सा स्वास्थ्य कर्मी संघ के बैनर तले दर्जनो एएनएम कर्मी प्रदर्शन कर रहे थे. उसी समय केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह डाकबंगला रोड के पास एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे.

प्रदर्शनकारियों ने डाकबंगला रोड के कैंटीन चौक के पास केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की गाड़ी का घेराव करने की कोशिश की, लेकिन जब गिरिराज सिंह का काफिला नहीं रूका, तब एएनएम के कार्यकर्ता गर्ल्स स्कूल पहुंच गए और जब गिरिराज सिंह कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद बाहर निकले तो कार्यकर्ताओं ने उनकी गाड़ी को घेर लिया.

कार छोड़कर बाइक से निकले गिरिराज

लेकिन केंद्रीय मंत्री ने उनका ज्ञापन नहीं लिया और गाड़ी छोड़कर बाइक से निकल गये. प्रदर्शन कर रहीं स्वास्थ्य कर्मी सोनम प्रिया ने कहा कि वे लोग मांगपत्र के साथ आये थे और मंत्री को मांगपत्र देना चाहते थे, लेकिन मंत्री उन लोगों की बात सुनना नहीं चाहते थे. जब हम लोगों ने उनसे बात करने की कोशिश की तो वह अपनी कार छोड़कर बाइक पर बैठकर चले गये.

उन्होंने सवाल किया कि क्या वे लोग उनकी जनता नहीं हैं? क्या वे हमारे प्रतिनिधि नहीं है? जब चुनाव आता है तो वोट मांगने आते हैं और सेवा करने की बात करते हैं, लेकिन जब आज वे लोग अपनी मांग को लेकर आए थे, तो वे बाइक पर सवार होकर चले गये.

22 जुलाई से कर रहे हैं कार्य बहिष्कार

गौरतलब है कि पिछले 22 जुलाई से बिहार चिकित्सा स्वास्थ्य कर्मी संघ के बैनर तले दर्जनो एएनएम कार्य बहिष्कार पर है. उन लोगों की 12 सूत्री मांगों में सबसे प्रमुख समान काम के लिए समान वेतन की मांग है, लेकिन कर्मियों का आरोप है कि जिला प्रशासन एवं सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है.

स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि एक ही काम के लिए कुछ स्वास्थ्यकर्मियों को लाख रुपए तक वेतन दिए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें दस-पंद्रह हजार रुपए ही दिये जाते हैं. वे लोग न्याय और समान वेततन की मांग कर रहे हैं.

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