बिहार की राजधानी पटना में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) परीक्षा को लेकर अनशन पर बैठे जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. किशोर कथित पेपर लीक मामले को लेकर पिछले 4 दिनों से अनशन पर बैठे थे. सोमवार सुबह-सुबह पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. जिसके बाद उन्हें AIIMS ले जाया गया. पुलिस ने किशोर की गिरफ्तारी को लेकर भी बताया है.
पटना डीएम डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने बताया कि प्रशांत किशोर की तरफ से अवैध ढंग से धरना दिया जा रहा था. शासन ने उन्हें गांधी मैदान के बजाय गर्दनीबाग में अनशन करने की बात कही थी. पुलिस की माने तो प्रशांत किशोर को जगह खाली करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था.
उन्होंने बताया कि इसके बाद भी गैरकानूनी ढंग से धरना दे रहे थे. यही कारण है कि उनपर मामला दर्ज किया गया था. कई बार समय देने और नोटिस के भी उनकी तरफ से जगह खाली नहीं की गई. जिसके बाद आज सुबह प्रशांत किशोर और उनके कुछ समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया. वे पूरी तरह स्वस्थ हैं.
आज ही कोर्ट में किया जाएगा पेश
पुलिस की माने तो प्रशांत किशोर को 10 बजे के बाद कोर्ट में पेश किया जाएगा. फिलहाल, उन्हें किसी गुप्त स्थान पर रखा गया है, जिसकी जानकारी किसी को नही है. इसके साथ ही किसी को भी उनसे मिलने की इजाजत नहीं है.
समर्थकों में नाराजगी
जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर के समर्थकों ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया. उन्होंने एक जगह बैठकर सत्याग्रह किया. सरकार उनसे डरी हुई है. पुलिस उन्हें कहां ले गई, किसी को नहीं पता. हम इसी का विरोध कर रहे हैं. कम से कम हमें तो बताएं कि उसे कहां ले जाया गया है.
#WATCH | Bihar: Supporters of Jan Suraaj chief Prashant Kishor says, "He did not do anything illegal. He sat at one place and did Satyagraha. The government is scared because of him. No one knows where police took him. We are protesting against this, at least inform us where he… https://t.co/7GZQxhUXAz pic.twitter.com/ABqGpXKGFT
— ANI (@ANI) January 6, 2025
दूसरे समर्थक ने कहा कि जब प्रशांत किशोर को हिरासत में लिया जा रहा था तो उनका चश्मा फेंक दिया गया. जब मैं उसे लेने गया तो मैं घायल हो गया और उन्होंने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया. हमें नहीं पता कि प्रशांत जी को कहां ले जाया गया है.
जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर के समर्थकों ने कहा कि प्रशांत किशोर बिहार के लोगों के लिए, छात्रों के लिए लड़ रहे थे. सरकार इस एकता से डरती है. उनके खिलाफ शारीरिक हिंसा निंदनीय है.