नई दिल्ली। देश में प्याज की बढ़ती कीमतों से परेशान आम जनता को राहत देने के लिए सरकार ने गुरुवार से दिल्ली, एनसीआर, और मुंबई में 35 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज की बिक्री शुरू कर दी है। सरकार का यह कदम प्याज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने और जमाखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के उद्देश्य से उठाया गया है। एक सप्ताह के भीतर कोलकाता, गुवाहाटी, हैदराबाद, अहमदाबाद, रायपुर, भुवनेश्वर, चेन्नई, और बेंगलुरु जैसे शहरों में भी रियायती दरों पर प्याज की बिक्री शुरू हो जाएगी।
जमाखोरों पर शिकंजा कसने की तैयारी
सरकार ने प्याज की बढ़ती कीमतों के पीछे जमाखोरी को एक मुख्य कारण माना है। इस समस्या से निपटने के लिए, इस महीने के तीसरे सप्ताह तक देशभर में रियायती दर पर प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए सरकारी एजेंसियां अन्य सहकारी समितियों और बड़ी खुदरा चेन के साथ करार करने में जुट गई हैं। सरकार के पास इस समय 4.7 लाख टन का बफर स्टॉक है, जिसे बाजार में उतारकर कीमतों को नियंत्रित करने की योजना बनाई गई है।
सस्ते प्याज की उपलब्धता
उपभोक्ता खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने दिल्ली में प्याज बेचने वाली मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने कहा कि नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीसीएफ) और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नेफेड) के आउटलेट्स, मोबाइल वैन, ई-कॉमर्स प्लेटफार्म, और केंद्रीय भंडार के आउटलेट्स से सस्ते प्याज खरीदे जा सकते हैं। इस तरह की व्यवस्था से उपभोक्ताओं को सीधे तौर पर लाभ होगा और जमाखोरी की समस्या से निपटने में भी मदद मिलेगी।
किसानों और व्यापारियों के पास 38 लाख टन प्याज का भंडारण
सरकार का मानना है कि इस समय किसानों और व्यापारियों के पास करीब 38 लाख टन प्याज का भंडारण है। इसके अलावा, सरकार ने आगामी खेती को लेकर भी आश्वासन दिया है। इस वर्ष खरीफ की बुवाई में अगस्त तक पिछले वर्ष की तुलना में 102 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि विभाग के अनुसार, इस साल अब तक 2.9 लाख हेक्टेयर में खरीफ प्याज की बुवाई हो चुकी है, जबकि पिछले वर्ष इस समय तक 1.94 लाख हेक्टेयर में ही रोपाई हुई थी।
बफर स्टॉक में वृद्धि
प्रल्हाद जोशी ने बताया कि खाद्य पदार्थों के मूल्य को नियंत्रण में रखना सरकार की प्राथमिकता है। उनके अनुसार, इस वर्ष 4.7 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक उपलब्ध है, जबकि पिछले वर्ष यह मात्रा मात्र 3 लाख टन थी। पिछले वर्ष महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसानों से प्याज की खरीद की गई थी और भुगतान सीधे उनके खातों में किया गया था। इस वर्ष रबी सीजन में भी प्याज की खरीदारी बेहतर रही है, और किसानों को अधिक मूल्य प्राप्त हुआ है। पिछले वर्ष प्याज 693 से 1,205 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा गया था, जबकि इस बार यह दर 1,230 से 2,578 रुपये प्रति क्विंटल रही।
सरकार की आगे की रणनीति
सरकार की योजना है कि प्याज की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए और अधिक उपाय किए जाएं। इसके लिए बफर स्टॉक को बाजार में उचित मात्रा में उतारा जाएगा और जमाखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अतिरिक्त, कृषि उत्पादन में वृद्धि और बाजार में आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किसान समर्थन योजनाओं को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
इस प्रकार, सरकार का यह कदम देशभर में प्याज की बढ़ती कीमतों से राहत दिलाने के साथ-साथ जमाखोरी के नेटवर्क को तोड़ने के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा। सरकार का मानना है कि यह उपाय न केवल उपभोक्ताओं को राहत देंगे, बल्कि प्याज के उत्पादन और आपूर्ति में संतुलन बनाए रखने में भी मदद करेंगे।