Tuesday, December 5, 2023
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Yogini Ekadashi 2023: जानें किस दिन रखा जाएगा योगिनी एकादशी का व्रत, 13 या 14 जून क्या है इसकी सही तिथि?

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Yogini Ekadashi 2023: पूरे साल भर में 12 महीने होते हैं और हर महीने में दो पक्ष होता है और हर पक्ष में एक-एक दिन एकादशी की तिथि होती है. इस लिहाज से साल में 24 एकादशी के व्रत होते हैं. आपको बता दें कि इन 24 एकादशी तिथियों की अपनी अलग-अलग महत्ता है. वैसे पुरुषोत्तम मास की एकादशी को मिलाकर कुल छब्बीस एकादशी होते हैं. ऐसे में हिंदू कैलेंडर के हिसाब से आषाढ़ का महीना चल रहा है. यह महीना भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे पवित्र महीना है. ऐसे में इस माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है.

बता दें कि हमारे धार्मिक ग्रंथ के अनुसार इस योगिनी एकादशी का व्रत करने से हर तरह के श्रापों से मुक्ति मिलती है. ऐसे में इस बार योगिनी एकादशी का व्रत कब मनाया जाएगा यह जानना बेहद जरूरी है. इस बार इसकी तिथि को लेकर थोड़ा भ्रम बना हुआ है कि यह 13 जून को होगा या 14 जून को तो आपको बताते हैं कि योगिनी एकादशी 13 जून को सुबह 9:28 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन 14 जून को सुबह 8:28 पर समाप्त होगा. ऐसे में 14 जून को चूकि इसको लेकर उदया तिथि होगी इसलिए इसको 14 जून को मनाया जाएगा. वहीं इस व्रत का पारण 15 जून को किया जा सकता है.

ऐसे में योगिनी एकादशी के दिन केवल जल ग्रहण कर व्रत रखने का विधान है. इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा सच्चे मनोभव से करने से मनोवांक्षित फल मिलता है. इस एकादशी को करने से 88 हजार ब्राह्मणों के भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलता है. साथ ही इसके प्रभाव से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

यह एकादशी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बाद भगवान विष्णु जल में चले जाएंगे. मतलब चार महीने बाद ही वह योग निद्रा से बाहर  आएंगे. इस एकादशी के बाद ही देवशायनी एकदाशी भी आएगी. ऐसे में 4 महीने तक सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाएंगे. आपको बता दें कि यह एकादशी निर्जला एकादशी और देवशायनी एकादशी के बीच आता है इसलिए भी इसका खास महत्व है.

‘योगिनी एकादशी ‘ सभी प्रकार के अपयश और चर्म रोगों से मुक्ति दिलाने वाला खास व्रत है. ऐसे में यह एकादशी का व्रत समस्त परेशानियों को नष्ट कर सुंदर रूप, गुण और यश देने वाली है. हर एकादशी के दिन चावल को खाना वर्जित है साथ ही आपको इस दिन तुलसी की क्यारी में भी जल नहीं डालना चाहिए क्योंकि इस दिन माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. ऐसे में उनका व्रत खंडित होता है जिसका पाप लोगों को लगता है.

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