बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच अस्पताल में एक भावनात्मक और अनोखी शादी देखने को मिली। यह शादी केवल दो लोगों के मिलन का नहीं, बल्कि परिवार में प्रेम और समर्पण की मिसाल बन गई। इस अनूठी शादी में एक पोते ने अपनी बीमार दादी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए अस्पताल के शिव मंदिर में फेरे लिए। शादी के कुछ ही घंटों बाद दादी का निधन हो गया, लेकिन जाते-जाते उनकी आंखों में अपने पोते की शादी देखने का संतोष था।
अचानक बिगड़ी दादी की तबीयत, परिवार ने लिया बड़ा फैसला
मिठनपुरा की रहने वाली रीता देवी पिछले कुछ समय से बीमार थीं और एसकेएमसीएच अस्पताल के कोविड आईसीयू में उनका इलाज चल रहा था। परिवार के सदस्य उनकी सेहत को लेकर चिंतित थे। इस बीच, उनके पोते अभिषेक कुमार की शादी अगले महीने तय थी। लेकिन रीता देवी की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी, और उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा जाहिर की—वह अपने पोते की शादी अपनी आंखों से देखना चाहती थीं।
जब परिवार को यह पता चला, तो उन्होंने तुरंत लड़की वालों से संपर्क किया और उन्हें इस परिस्थिति के बारे में बताया। लड़की पक्ष भी सहर्ष तैयार हो गया क्योंकि यह शादी सिर्फ दो परिवारों का मिलन नहीं, बल्कि एक दादी के सपने को पूरा करने का अवसर था।
अस्पताल के शिव मंदिर में हुई शादी
परिवार वालों ने जल्दबाजी में शादी की तैयारियां शुरू कर दीं और अस्पताल परिसर में स्थित शिव मंदिर को विवाह स्थल बना दिया गया। वहां पूरे रीति-रिवाजों के साथ अभिषेक और उनकी दुल्हन ने सात फेरे लिए। विवाह में अस्पताल के डॉक्टर, नर्सें और अन्य मरीजों के परिजन भी साक्षी बने। इस मौके पर मौजूद हर किसी की आंखें नम थीं।
शादी संपन्न होने के बाद अभिषेक और उनकी पत्नी ने दादी के चरण छूकर आशीर्वाद लिया। दादी ने बड़े संतोष और खुशी के साथ पोते की शादी देखी, और फिर दो घंटे के भीतर उन्होंने अंतिम सांस ले ली।
भावुक कर देने वाला दृश्य
यह दृश्य पूरे परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि अस्पताल में मौजूद हर व्यक्ति के लिए भावुक कर देने वाला था। रीता देवी की आंखों में जो संतोष था, उसने हर किसी को गहरे तक छू लिया। परिवार ने यह साबित कर दिया कि अपनों की भावनाओं को समझना और उन्हें पूरा करना ही सच्चा प्रेम और सम्मान है।
यह शादी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो अपनों की इच्छाओं और भावनाओं को महत्व नहीं देते। अभिषेक और उनके परिवार ने यह दिखा दिया कि प्रेम और कर्तव्य से बढ़कर कुछ नहीं होता। यह शादी भले ही अस्पताल में हुई, लेकिन इसमें भावनाओं की गर्माहट और अपनों के लिए समर्पण की सच्ची कहानी बसी हुई थी।