मोतिहारी: देख लीजिए नीतीश जी जिस शराब बंदी अभियान को सफल बनाने के लिए आप दिन रात एक किए हुए है उसी शराब बंदी अभियान की धज्जियाँ उड़ाते देर नही लगती है आपके ही पुलिस अधिकारियों द्वारा, लगातार पुलिस द्वारा शराब बंदी अभियान को सफल बनाने के लिए जनता के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाता है लेकिन ईसी में कई ऐसे अधिकारी है जो चंद पैसों के लिए शराब कारोबारी से लेकर शराब पीने वालों को पैसों के लिए पकड़ कर छोड़ देते है ऐसा ही एक मामला सामने आया है.
मोतिहारी के पहाड़पुर थाना से जहाँ पर सूबह में थाने के चौकीदार और कर्मियों द्वारा दो व्यतियों को 10 लीटर देशी चुलाई शराब के साथ गिरफ्तार किया जाता है और थाने लाकर हाजत में बंद कर दिया जाता है लेकिन शराब मामलें में पकड़ाए हुआ एक व्यक्ति निकल जाता है सरकार का ही कर्मचारी वो भी डाक बाबू जो घर घर जाकर चिट्टियो के साथ साथ शराब की भी डिलीवरी करते थे जब वो पकड़े गए तो थाना क्षेत्र के लोगों में खलबली मच गई.
फिर सभी उनके चाहने वालो के द्वारा थानाध्यक्ष के पास पहुँच डाक बाबू को छोड़ने की जिद पर अड़ गए फिर क्या ये बात जंगल मे आग की तरह फैलने लगी की पैसे की दम पर डाक बाबू को तो लोगों ने हाजत से निकलवा लिया और साथ वाले को हाजत में ही छोड़ डाक बाबू अपने घर निकल गए ये बात जब पुलिस अधीक्षक डॉ कुमार आशीष को पता लगी तो एसपी ने अरेराज डीएसपी को ईसकी जाँच का निर्देश दिया।
फिर डीएसपी रंजन कुमार और इंस्पेक्टर उपेन्द्र कुमार थाने पहुँचे फिर जब जाँच और पूछताछ की तो मामला का खुलासा हुआ कि डाक बाबू चिट्ठियां बाटने के साथ साथ शराब की भी डिलीवरी करते थे लेकिन हाजत में बंद कर उन्हें छोड़ दिया गया फिर सीसीटीवी कैमरे में सब खुलासा हुआ तो डीएसपी के निर्देश पर डाक बाबू को दुबारा बुलाया गया और प्राथमिकी दर्ज कर जेल भेजा गया
लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर जब पुलिस ने शराब के साथ डाक बाबू को गिरफ्तार किया था तो हाजत में बंद करने के बाद चंद पैसों के लिए आखिर क्यों शराब बंदी अभियान को ठेंगा दिखाते हुए छोड़ क्यो दिया गया क्या ईन पुलिस कर्मियों को सरकार का डर नही है या अपने वरीय अधिकारियों का खौफ तक नही है.