जीतन राम मांझी ने बदला भोज का नाम, अब ब्राह्मणों के साथ इन्हें भी दिया न्योता, पर रख दी यह शर्त

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पटना. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी के आवास पर 27 दिसंबर को भोज का आयोजन किया गया है. एक कार्यक्रम में ब्राह्मणों के बारे में आपत्तिजनक बयान देने के बाद उन्होंने गुरुवार को इस भोज के आयोजन की जानकारी दी थी. अब सोमवार को होने वाले कार्यक्रम का नाम बदलकर ब्राह्मण- दलित एकता भोज रख दिया गया है. हालांकि इसके पहले इसे ब्राह्मण-पंडित भोज का नाम दिया गया था. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की ओर से इस भोज में शामिल होने के लिए ब्राह्मणों और पंडितों को सशर्त न्योता दिया गया था. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की ओर से यह कहा गया था कि भोज में वैसे ही ब्राह्मण और पंडित शामिल हो सकते हैं जिन्होंने मांस और मदिरा का कभी सेवन ना किया हो. साथ ही कभी चोरी डकैती ना की हो. अब एक बार फिर मांझी ने अपने इस कार्यक्रम में संशोधन कर इस आयोजन का नया नामकरण कर दिया है.

गौरतलब है कि ब्राह्मणों और पंडितों के बारे में आपत्तिजनक बयान  देकर विवादों में आए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपने आवास पर भोज का आयोजन कर रहे हैं. लेकिन, इसमें हर कोई शामिल नहीं हो सकेगा. पहले भोज में केवल ब्राह्मणों-पंडितों को ही आने की बात कही गई थी. गुरुवार को पार्टी की ओर से एक बयान देकर यह शर्त लागू किया गया है कि जो ब्राह्मण मांस मदिरा का सेवन से दूर रहे हों और कभी चोरी डकैती ना की हो वही भोज में आ सकते हैं.
आगामी सोमवार यानी 27 दिसंबर की दोपहर 12:00 बजे अपने सरकारी आवास पर खुद ऐसे लोगों को मांझी अपने हाथों से भोज कराएंगे. कार्यक्रम में शुक्रवार को परिवर्तन करते हुए ब्राह्मण के साथ दलित भी जोड़ा गया है. यानी मांझी के भोज में पंडितों के साथ दलित भी बैठ कर भोज में शामिल होंगे. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेताओं की मानें तो मांझी भोज में खुद ब्राह्मणों और दलितों को अपने हाथों से भोजन कराएंगे.
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