Fox Nut: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार किसानों की इनकम बढ़ाने की लिए तरह- तरह की योजनाएं चला रही है. खास कर सरकार किसानों को बागवानी और नदगी फसल की खेती करने की सालह दे रही है. इसी बीच खबर है कि बिहार सरकार ने प्रदेश में मखाने की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए शानदार योजना बनाई है. सरकार ने किसानों को मखाना प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सब्सिडी देने का प्लान बनाया है. जो भी किसान इस सब्सिडी का लाभ लेना चाहते हैं, वो कृषि विभाग के आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं.
बिहार सरकार ने मखाना विकास योजना के तहत मखाने की इकाई लगाने के लिए 75 प्रतिशत सब्सिडी देने का फैसला किया है. खास बात यह है कि सरकार ने मखाना के बीज पर इकाई लागत 97,000 रुपये प्रति हेक्टेयर निर्धारित की है. इसके ऊपर किसानों को 75 फीसदी अनुदान मिलेगा. अगर किसान भाई मखाने की खेती करते हैं, तो उन्हें 72 हजार 750 रुपये फ्री में दिए जाएंगे. बिहार सरकार का कहना है कि किसान भाई सबौर मखाना-1 एवं सवर्ण वैदेही प्रभेद का उपयोग कर मखाने का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ा सकते हैं.
मखाना विकास योजना के तहत मिलने वाले लाभ की जानकारी:@saravanakr_n @KumarSarvjeet6 @HorticultureBih @dralokghosh #BiharAgricultureDept pic.twitter.com/3Cv7bfa62J
— Agriculture Department, Govt. of Bihar (@Agribih) May 11, 2023
मखाने का खीर लजीज बनता है
बता दें कि भारत में सबसे अधिक मखाने की फार्मिंग बिहार में ही होती है. बिहार पूरे विश्व का 80 फीसदी मखाना अकेले उत्पादित करता है. खास बात यह है मिथिलांचल के मखाने को जीआई टैग भी मिल चुका है. बिहार के दरभंगा और मधुबनी जिले में सबसे अधिक मखाने का प्रोडक्शन होता है. हालांकि, अब किसानों ने चंपारण जिले में भी मखाने की खेती शुरू कर दी है. ऐसे भी बिहार सरकार का प्लान है कि धीरे- धीरे प्रदेश के दूसरे हिस्सों में भी मखाने की खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया जाए.
मिथिलांचल के मखाने को जीआई टैग मिला हुआ है
मखाने में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं. मखाने के सेवन से शरीर को प्रयाप्त मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं. मखाने से लजीज खीर भी बनाया जाता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुल उत्पादन का 70 प्रतिशत मखाने का प्रोडक्शन मधुबनी और दरभंगा जिले में होता है. इन दोनों जिलों में 120,00 टन मखाने का उत्पादन होता है. पूरे देश में लगभग 15 हजार हेक्टेयर में मखाने की फार्मिंग हो रही है. बता दें कि पिछले साल ही मिथिलांचल के मखाने को इंटरनेशनल लेवल पर पहचान मिली थी. यानी इसे जीआई टैग से नवाजा गया था.