नई दिल्ली: कोलकाता में 8-9 अगस्त की रात एक ट्रेनी लेडी डॉक्टर के साथ हुई बलात्कार और हत्या की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच को लेकर पुलिस की कार्यशैली पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि उन्होंने अपने 30 साल के करियर में इस तरह का केस हैंडलिंग कभी नहीं देखा है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और आदेश:
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस और सीबीआई से प्राप्त स्टेटस रिपोर्ट की समीक्षा की और इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि मामले में न्यायिक प्रक्रिया और स्वास्थ्य सेवाएं कभी बंद नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के सियालदह न्यायिक मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि वे आरोपी के पॉलीग्राफ टेस्ट से संबंधित आवेदन पर आदेश पारित करें और यह काम कल शाम 5 बजे तक पूरा करें।
इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एक पोर्टल खोलने का निर्देश दिया है, जिससे मामले में संबंधित सभी लोगों के सुझाव आमंत्रित किए जा सकें। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए हैं कि शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन में शामिल डॉक्टरों और अन्य लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए और डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं।
पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल:
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार पर भी कड़े सवाल उठाए और पूछा कि वह क्या छिपा रही है। कोर्ट ने अप्राकृतिक मौत के मामले की पूरी जानकारी मांगी और केस डायरी की हार्ड कॉपी प्रस्तुत करने का आदेश दिया। पुलिस की एफआईआर दर्ज करने में देरी को लेकर भी कोर्ट ने नाराजगी जताई और पूछा कि घटनास्थल को संरक्षित क्यों नहीं किया गया और आरोपी की मेडिकल जांच रिपोर्ट कहां है।
मामले में लिपापोती की कोशिश:
सीबीआई ने अदालत को बताया कि कोलकाता में घटनास्थल के साथ छेड़छाड़ की गई और मामले को दबाने की कोशिश हुई। सीबीआई ने कहा कि एफआईआर अंतिम संस्कार के बाद दर्ज की गई, और अस्पताल प्रशासन ने घटना की जानकारी परिजनों को देर से दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि मामले की जांच में यह सारी अनियमितताएं परेशान करने वाली हैं।
डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील:
सुप्रीम कोर्ट ने हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों से कहा कि वे पहले ड्यूटी पर लौटें और टास्क फोर्स की राय लें। कोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी और अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें संरक्षण भी दिया जाएगा।
यह मामला 8-9 अगस्त की रात का है, जब कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी लेडी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना हुई। डॉक्टर चेस्ट मेडिसिन विभाग में MD द्वितीय वर्ष की छात्रा थीं। इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश फैला दिया है और पश्चिम बंगाल सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी।