DESK: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री और डीएमके नेता वी. सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सोमवार को जस्टिस अभय एसओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज ने बेंच ने मामले की सुनवाई की. वी.सेंथिल बालाजी तमिलनाडु सरकार के पूर्व मंत्री हैं. जिन्हें पिछले साल ED(प्रवर्तन निदेशालय) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था.
मामले की सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सेंथिल बालाजी की ओर से अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट में दलीलें दीं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सेंथिल बालाजी को जमानत देने का विरोध किया. उन्होंने कहा कि मुकदमे में हुई देरी के लिए पूर्व मंत्री जिम्मेदार हैं. इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि बालाजी एक साल से अधिक समय से जेल में हैं और मुकदमा जल्द पूरा होने की कोई संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि ,” मेरे (सैंथिल बालाजी) ऊपर यह आरोप लगा कि मैं प्रभावशाली हूं लेकिन अब मेरे पास कोई पोर्टफोलियो नहीं है, अभी मेरी सर्जरी हुई है और क्या चाहिए?” इस पर जस्टिस ओका ने पूछा कि क्या कोई मंत्री इस्तीफा देने के बाद प्रभावशाली नहीं रहता?
सेंथिल बालाजी की पिछले साल हुई थी गिरफ्तारी
सेंथिल बालाजी को पिछले साल ईडी ने 14 जून को गिरफ्तार किया था. उन पर परिवहन मंत्री रहते हुए, नौकरी देने के बदले पैसे लेने का आरोप लगा है. इस मामले में ईडी ने पिछले साल 12 अगस्त को ही सेंथिल के खिलाफ 3000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी. इससे पहले ही मद्रास हाई कोर्ट ने बालाजी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
हाई कोर्ट ने 19 अक्टूबर को जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि अगर उन्हें जमानत पर रिहा किया गया तो इससे गलत संदेश जाएगा. अदालत ने यह भी कहा था कि याचिकाकर्ता को 8 महीने से अधिक जेल में रहना पड़ा है. इसलिए, विशेष अदालत को समय सीमा के अंदर मामले का निपटारा करने का आदेश देना उचित रहेगा. इससे पहले भी स्थानीय अदालत ने तीन बार सेंथिल की जमानत याचिका खारिज कर चुकी है.