Tuesday, December 5, 2023
HomeदेशYouTube की बढ़ी मुसीबत, क्या सुप्रीम कोर्ट रद्द करेगा छूट देने वाला...

YouTube की बढ़ी मुसीबत, क्या सुप्रीम कोर्ट रद्द करेगा छूट देने वाला 26 साल पुराना कानून?

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

YouTube News: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसे मामले की सुनवाई चल रही है, जो इंटरनेट की दुनिया को पूरी तरह बदल सकता है. मंगलवार को कोर्ट में इस मामले की दलीलें सुनी गई. वैसे तो यह केस Google के वीडियो प्लेटफॉर्म YouTube से जुड़ा है, लेकिन इस केस का असर दुनिया भर की टेक कंपनियों पर पड़ना तय है. आपको बता दें कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट टेक कंपनियों को कंटेंट प्रोटेक्शन देने वाले 26 साल पुराने कानून को निरस्त करने के लिए दायर एक मामले की सुनवाई कर रहा है.

हालांकि, अभी तक कोई संकेत नहीं है कि अदालत का बहुमत कानून को पलटने का विकल्प चुनेगा. ढाई घंटे के सत्र में नौ जस्टिस की बेंच ने तथाकथित सेक्शन 230 को बेहतर ढंग से समझने पर ध्यान दिया. सेक्शन 230 एक अमेरिकी कानून है जिस पर 1996 में इंटरनेट युग की शुरुआत में और गूगल के आने से पहले हस्ताक्षर किए गए थे.

जानें कोर्ट ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट बेंच ने स्वीकार किया कि कानून के ड्रॉफ्ट के बाद से ऑनलाइन दुनिया की पहुंच और लिमिट को देखते हुए कानूनी कवच ​​शायद इसके उद्देश्य के लिए फिट नहीं है. लेकिन बेंच ने कहा कि वे इस मामले को सुलझाने के लिए सबसे उपयुक्त नहीं हो सकते हैं.

जस्टिस ऐलेना कगन ने उनके सामने रखे गए मामले की जटिलता का संकेत देते हुए कहा, “हम यहां एक कठिन स्थिति में हैं क्योंकि यह एक अलग समय पर लिखी गया कानून है, जब इंटरनेट पूरी तरह से अलग था.”

उन्होंने कहा, “हम एक कोर्ट हैं, हम वास्तव में इन चीजों के बारे में नहीं जानते हैं. ये इंटरनेट के नौ सबसे बड़े एक्सपर्ट्स की तरह नहीं हैं.”

क्या है सेक्शन 230?

सेक्शन 230 इंटरनेट प्लेटफॉर्म को ऐसे कंटेंट की जिम्मेदारी से पूरी तरह छूट देता है जो थर्ड पार्टी द्वारा शेयर किया गया है. यहां तक कि अगर वेबसाइट या प्लेटफॉर्म ऐसा कंटेंट रिकमेंड भी करता है तो भी ये कानून उन्हें बचा लेता है. सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले में यूट्यूब की अल्गोरिद्म पर सवाल उठाया गया है, जो यूजर द्वारा देखी गई पिछली वीडियो, चॉइस और प्रोफाइल के आधार पर अगली वीडियो रिकमेंड करता है.

आतंकी हमले में मारे गए स्टूडेंट का केस

इस मामले में शिकायतकर्ता एक अमेरिकी एक्सचेंज स्टूडेंट नोहेमी गोंजालेज का परिवार है, जो पेरिस में नवंबर 2015 के आतंकी हमलों में मारे गए 130 लोगों में से एक था. उसके परिवार ने गूगल के मालिकाना हक वाले यूट्यूब को इस्लामिक स्टेट जिहादी ग्रप की वीडियो को यूजर्स के लिए सिफारिश यानी रिकमेंड करने के लिए दोषी ठहराया, जिसके बारे में उनका मानना ​​​​है कि कंपनी भी हिंसा में एक पार्टी है.

कोर्ट ने छूट पर जताई हैरानी

गोंजालेज परिवार के वकील एरिक श्नैपर ने कहा, “समस्या यह है कि जब आप एक वीडियो पर क्लिक करते हैं, और आप उसे चुनते हैं, तो यूट्यूब ऑटोमैटिकली आपको ज्यादा वीडियो भेजता रहेगा, जिसे आपने मांगा ही नहीं है.” वहीं, कुछ जस्टिस ने सेक्शन 230 के दायरे पर सवाल पूछे. उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई कि रिकमेंडेशन सहित टेक कंपनियों के लिए यह छूट किस हद तक है.

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Latest News