Tuesday, December 5, 2023
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Bihar Politics: मुकेश सहनी के लिए खास होने वाली है ये तारीख, VIP सुप्रीमो के एक कदम से किसे लगने वाला है झटका?

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पटना: लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में सभी पार्टियां जुट गई हैं. बिहार में बीजेपी और महागठबंधन दोनों की तैयारी जोरों पर है और महागठबंधन में सात पार्टियां शामिल हैं, लेकिन मुकेश सहनी की वीआईपी पर सबकी नजर बनी हुई है कि मुकेश सहनी किसी पार्टी के साथ जाने वाले हैं? वीआईपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने बताया कि 25 जुलाई को मुकेश सहनी घोषणा करेंगे कि 2024 का लोकसभा चुनाव में वे किस के साथ गठबंधन करेंगे. उसी दिन तय होगा कि मुकेश महागठबंधन में जाएंगे या घर वापसी कर बीजेपी के साथ रहेंगे. हालांकि अभी उन्होंने कहा कि इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.

 एनडीए में फिर शामिल हो सकते हैं मुकेश सहनी

मुकेश सहनी किससे गठबंधन करेंगे? इसकी घोषणा तो दो महीने बाद होगी, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह भी सवाल उठने लगे हैं कि मुकेश सहनी की किधर जाएंगे. क्या वह अपने पुराने गठबंधन बीजेपी में जाएंगे या फिर महागठबंधन जाएंगे. बीते घटनाक्रम से कयास लगाया जा रहा है कि मुकेश सहनी महागठबंधन को बाय-बाय करेंगे और बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि मुकेश सहनी को मंत्री रहते हुए जो सरकारी आवास मिला था, उसमें मंत्री पद से हटने के बाद भी वह लगभग एक वर्ष तक रहे, लेकिन नीतीश सरकार कभी उनके बंगले को खाली करने के लिए नहीं कहा.

आवास बोर्ड ने भी कभी उन्हें नोटिस नहीं दिया. ऐसा देखा जाता है कि अधिकांश नेताओं को बंगला खाली करने के लिए नोटिस दिया जाता है, लेकिन ऐसा मुकेश सहनी के साथ नहीं हुआ. महागठबंधन की सरकार कहीं ना कहीं मुकेश सहनी का आवास खाली करने का दबाव नहीं बना कर उन्हें अपने पाले में करने की फिराक में थी लेकिन मुकेश सहनी ने पिछले 20 दिन पहले खुद ब खुद सरकारी बंगले को खाली कर दिए. कंकड़बाग में वे अपना फ्लैट ले ले लिए हैं. इस फ्लैट में आवास के साथ-साथ उनका कार्यालय भी रहेगा.

बगैर नोटिस के बंगला खाली कर चुके हैं सहनी

मुकेश सहनी पर बीजेपी पहले से ही डोरे डाल चुकी है. दो महीने पहले केंद्रीय एजेंसियों का हवाला देते हुए मुकेश साहनी को वाई श्रेणी  की सुरक्षा दी गई है, उस वक्त से कयास लगया जा रहा था कि मुकेश सहनी बीजेपी में जा सकते हैं, लेकिन सहनी  खुद-ब-खुद बंगला खाली कर महागठबंधन से दूरी का संकेत दे चुके हैं. कहीं ना कहीं वह केंद्र के दिए गए तोहफा वाई श्रेणी सुरक्षा को कबूल करना चाहते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. अगर दो महीने बाद उसी बंगले में रहकर वह अगर बीजेपी में जाने की घोषणा करेंगे तो उन पर सरकार का दबाव बनता और फजीहत होती हालांकि राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने भी ऑफ रिकॉर्ड में कहा है कि हमारी पार्टी एनडीए की ओर जा सकती है .

 निषाद समाज के लिए बनाया है अलग पार्टी

इन सब के बीच एक सवाल यह भी उठ रहा है कि 2020 में जिस तरह मुकेश सहनी का जलवा दिखा था ,वे मंत्री भी बनाए गए थे .चार विधायक उनकी पार्टी से भी जीत कर आए थे तो क्या वह जलवा 2024 में दिख सकता है. ऐसा इसलिए कि 2020 के बाद मुकेश सहनी की साथ के उनकी पार्टी से उनके ही समाज से आने वाले कई दिग्गज कार्यकर्ता और नेता पार्टी को छोड़ चुके हैं. वीआईपी के स्थापना के समय ही निषाद समाज के लगभग एक दर्जन संगठन ने मुकेश साहनी को सपोर्ट किया था लेकिन अधिकांश संगठन  ‘वीआईपी’ को छोड़ चुके हैं और सभी ने मिलकर एक नई पार्टी ‘विकाशसिल  स्वराज पार्टी’ का निर्माण किया है.

इसमें सभी पदों पर निषाद समाज के ही लोग हैं. पार्टी इस पार्टी के प्रधान महासचिव प्रेम चौधरी का कहना है कि हमारे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश निषाद जो निषाद सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं जब मुकेश सहनी आए थे तो सबसे पहले निषाद समाज के 12 संगठनों से को अपने पाले में किया था इसमें और हम सभी लोग उनके साथ हो गए थे, लेकिन जिस तरह से 2020 के चुनाव के बाद सिर्फ अपने बारे में सोचकर नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल को गिराने का काम किए इससे क्षुब्ध होकर हम लोग पार्टी को छोड़ दिए और अब निषाद समाज मुकेश सहनी के बहकावे में आने वाला नहीं है.

‘वह तो मल्लाह है ही नहीं’

प्रेम चौधरी ने बताया कि वह सन ऑफ मल्लाह कहते हैं लेकिन वह तो मल्लाह है ही नहीं. निषाद समाज में 16 उपजातियां हैं उनमें बनपर जाति से मुकेश सहनी आते हैं. जबकि हम सभी लोग मल्लाह जाति के हैं और लगभग डेढ़ प्रतिशत मल्लाह जाति का वोट है जो मुकेश सहनी पर काफी खफा है. मुकेश सहनी ने सिर्फ अपने बारे में सोचा और निषाद समाज के हक के बारे में उन्होंने कभी ध्यान नहीं दिया. अब सवाल उठता है कि जिस जाति के बदौलत मुकेश सहनी का बिहार में कद बढ़ा है ,अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में उनके ही समाज के लोग उनसे दूरी बनाए बना देते हैं तो मुकेश सहनी के साथ उनके गठबंधन के लिए भी खतरे की घंटी है.

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