बिहार में जब युवा सड़कों पर हैं और आंदोलन कर रहे हैं। वहीं, इनकी आड़ में उपद्रवी माहौल बिगाड़ने की ताक में दिख रहे हैं। ऐसे में जो बात सबसे अधिक हैरान करती है वह है मुख्यमंत्री से लेकर नेता विपक्ष की चुप्पी। आरजेडी कार्यकर्ता भले ही सड़कों पर उतरकर जगह-जगह प्रदर्शन और हंगामा कर रहे हैं।
लेकिन विपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पिछले एक पखवाड़े से सियासी मैदान से दूर दिख रहे हैं। हाल ही में शादी के बंधन में बंधे तेजस्वी यादव सोशल मीडिया और ट्विटर से भी दूर हैं।
तेजस्वी यादव ने 1 जनवरी को नए साल की शुभकामनाएं देने के बाद से कोई ट्वीट नहीं किया है। 3 जनवरी को आखिरी बार उन्होंने एक रिट्वीट किया था। लेकिन उसके बाद से लगातार उनके ट्विटर हैंडल पर सन्नाटा है। छात्र आंदोलन के बीच तेजस्वी यादव की चुप्पी इसलिए भी अधिक हैरान करती है, क्योंकि वह लगातार खुद को युवाओं के नेता के रूप में पेश करते रहे हैं।
छात्रों को उकसाने के आरोप से इनकार कर रहे खान सर इस आंदोलन का प्रमुख चेहरा बनकर उभरे हैं। हालांकि, छात्रों को उकसाने के आरोप में पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। वहीं, तेजस्वी के छोटे भाई तेज प्रताप जरूर कुछ हद तक सक्रिय दिख रहे हैं। वह लगातार सोशल मीडिया के सहारे छात्रों के आंदोलन का समर्थन करते हुए सरकार पर निशाना साध रहे हैं।
राज्य के अभिभावक के रूप में अब तक ना तो उन्होंने छात्रों से शांति की अपील की है और ना ही उपद्रव पर कुछ प्रतिक्रिया दी है। हालाकिं, उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने गुरुवार को कहा कि बिहार और यूपी में छात्रों का उत्तेजक होना आरआरबी एनटीपीसी परीक्षा प्रक्रिया व परिणाम में गड़बड़ी के विरुद्ध प्रतिक्रिया है।
रेलवे भर्ती बोर्ड की गड़बड़ियों को देखने के लिए जांच कमिटी बनाई गई है। छात्रों/उम्मीदवारों के साथ अतिशीघ्र न्याय की उम्मीद करता हूं। उन्होंने खान सर से भी केस वापस लेने की मांग की।
एनटीपीसी की परीक्षा के 3.5 लाख अतिरिक्त परिणाम ‘एक छात्र-यूनिक रिजल्ट’ के आधार पर घोषित किए जाएंगे। रेलमंत्री ने गुरुवार भरोसा दिलाया कि सरकार छात्रों से सहमत है और उनकी मांग के अनुरूप ही निर्णय जल्द किया जाएगा।
सुशील मोदी की ओर से यह जानकारी दिए जाने के बाद ही अधिकतर छात्र शांत हो गए हैं प्रदर्शन में उनकी भागीदारी बेहद कम है।