नई दिल्ली: भारतीय श्रम संबंधी संसद की स्थायी समिति, जो भाजपा सांसद बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता में कार्य कर रही है, ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तहत दी जाने वाली कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) की न्यूनतम पेंशन राशि में वृद्धि की सिफारिश की है। समिति ने केंद्र सरकार से यह अपील की है कि वर्तमान में 1,000 रुपये प्रति माह निर्धारित न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर कम से कम 7,500 रुपये किया जाए। यह सिफारिश तब आई है जब विभिन्न ट्रेड यूनियनों और पेंशनभोगी संगठनों ने लंबे समय से इस मुद्दे को उठाया है।
वर्तमान में, कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के तहत, पेंशनधारियों को 1,000 रुपये प्रति माह की न्यूनतम पेंशन दी जा रही है, जो 2014 से तय की गई है। इस राशि को बढ़ाने की मांग इसलिए उठ रही है क्योंकि जीवन-यापन की लागत में बढ़ोतरी हो चुकी है, और 2014 से लेकर अब तक कई आर्थिक बदलाव हो चुके हैं। समिति के अनुसार, ईपीएस के तहत दी जाने वाली न्यूनतम पेंशन राशि को 7,500 रुपये प्रति माह किया जाए ताकि पेंशनधारियों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो सके।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2014 के बाद से जीवन-यापन की लागत कई गुना बढ़ चुकी है। खासतौर पर, 2024 में यह बदलाव और अधिक आवश्यक हो गया है, जब महंगाई दर और अन्य खर्चों में लगातार वृद्धि हो रही है। समिति ने यह भी कहा कि यह वृद्धि पेंशनधारियों और उनके परिवारों के व्यापक हित में होगी। हालांकि, समिति ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह काम वित्तीय इंप्लीकेशंस को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए।
समिति ने इस संबंध में एक महत्वपूर्ण सिफारिश की है कि केंद्र सरकार इस विषय पर गंभीरता से विचार करते हुए, 2025 के अंत तक इस मुद्दे का समाधान निकालने का प्रयास करे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ईपीएस योजना का तीसरे पक्ष द्वारा मूल्यांकन इसके 30 साल पूरे होने के बाद किया जा रहा है। इसलिए, इस समय सीमा के भीतर योजना की प्रभावशीलता, स्थिरता और सुधार की संभावनाओं का आकलन किया जा सकेगा।
केंद्र सरकार की ओर से इस सिफारिश पर निर्णय लिया जाना बाकी है, लेकिन यदि यह सिफारिश स्वीकार की जाती है, तो इससे लाखों प्राइवेट कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को राहत मिल सकती है। फिलहाल, पेंशनधारियों के सामने 1,000 रुपये की पेंशन राशि पर्याप्त नहीं मानी जा रही है, और उनके जीवन-यापन के लिए यह राशि बहुत कम पड़ रही है।
ट्रेड यूनियनों और अन्य संगठनों की उम्मीदें अब इस सिफारिश के बाद केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर जल्दी कार्रवाई की हैं, जिससे पेंशनधारियों का जीवन स्तर बेहतर हो सके।