Bihar Highway: पटना-बेतिया हाई स्पीड कॉरिडोर को मिली 1712 करोड़ की मंजूरी, पर्यटन और आर्थिक विकास को मिलेगी रफ्तार

DESK: पटना से बेतिया के बीच बनने वाले हाई स्पीड कॉरिडोर के एक हिस्से के लिए केंद्र सरकार ने 1712.33 करोड़ रुपये की मंजूरी प्रदान की है। यह परियोजना बिहार के सड़क ढांचे को सुदृढ़ करने और स्थानीय विकास को गति देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को इस महत्वपूर्ण घोषणा की। इसके अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग 139W पर माणिकपुर से साहेबगंज तक के 44.65 किमी लंबे स्ट्रेच के चौड़ीकरण का काम किया जाएगा।

इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य पटना से बेतिया के बीच हाई स्पीड कनेक्टिविटी को स्थापित करना है, जो बौद्ध सर्किट के माध्यम से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा। वैशाली और मुजफ्फरपुर जैसे प्रमुख जिले इस परियोजना से सीधा लाभ उठाएंगे, क्योंकि इससे इन क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा, इस प्रोजेक्ट के तहत एक मेगा ब्रिज, दो फ्लाईओवर, 25 अंडरपास और एक रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) का भी निर्माण किया जाएगा।

यह हाई स्पीड कॉरिडोर न केवल यात्रा को सुगम बनाएगा, बल्कि राज्य के धार्मिक स्थलों जैसे वैशाली के बौद्ध स्थलों और मुजफ्फरपुर के अन्य प्रमुख स्थलों को भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए अधिक सुलभ बनाएगा। इससे न केवल पर्यटन उद्योग को बल मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। इसके साथ ही, क्षेत्रीय व्यापार में भी बढ़ोतरी की संभावना है, क्योंकि बेहतर कनेक्टिविटी से माल और सेवाओं का परिवहन भी आसान हो जाएगा।

इस परियोजना के क्रियान्वयन से बिहार के बौद्ध सर्किट को अधिक पहचान मिलेगी, जो राज्य के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को उजागर करता है। इस कॉरिडोर के निर्माण से न केवल स्थानीय बल्कि राज्य स्तरीय परिवहन और बुनियादी ढांचे में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

इसके अलावा, राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में भी एक बड़ी परियोजना पर काम हो रहा है। बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय का निर्माण मीठापुर में शुरू हो चुका है। करीब 138 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस विश्वविद्यालय के भवन का निर्माण कार्य जल्द पूरा होने की उम्मीद है। यह विश्वविद्यालय राज्य के सभी स्वास्थ्य विज्ञान महाविद्यालयों और संस्थानों को एकजुट करेगा और चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा।

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना जुलाई 2022 में की गई थी, जिसका उद्देश्य आधुनिक चिकित्सा प्रणाली, आयुष, नर्सिंग, फार्मेसी, दंत चिकित्सा और अन्य संबंधित क्षेत्रों में शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इससे बिहार में स्वास्थ्य विज्ञान की पढ़ाई को एक नई दिशा मिलेगी, जिससे राज्य के युवाओं को चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर अवसर मिलेंगे।

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