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Chandrayaan-3: …तो ऐसे चांद पर उतरेगा चंद्रयान-3, आखिरी 15 मिनट अहम और रोमांचक, मून पर 4 फेज में होगी लैंडिंग, समझें कैसे

नई दिल्ली: भारत का महत्वकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Landing) अपने अंतिम चरण में है. 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर यह चांद की सतह पर लैंड करेगा. ISRO जब चंद्रयान-3 लैंडर को 23 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के कोशिश करेगा तो मिशन को अंतिम 15 मिनट में प्रवेश करना होगा. इस दौरान लैंडर को उच्च गति वाली क्षैतिज स्थिति से एक लंबवत स्थिति में स्थानांतरित करना होगा.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, लैंडिंग का प्रोसेस 23 अगस्त को शाम 5:45 बजे चार व्यापक चरणों में शुरू होगा. इसमें रफ ब्रेकिंग फेज, एल्टीट्यूड होल्ड फेज, फाइन ब्रेकिंग फेज औक टर्मिनल डिसेंट फेज शामिल है. लैंडिंग का यह 15 मिनट रोमांच से भरपूर होगा. इस दौरान चंद्रयान-3 का लैंडिंग लाइव देख रहे लोगों के लिए टी-20 क्रिकेट मैच के आखिरी ओवर के मुकाबले से कम नहीं लगने वाला है.

चार चरणों में लैंडिंग

बता दें कि इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने 9 अगस्त को एक सार्वजनिक संबोधन में कहा था कि ‘चंद्रयान 3 इस समय लगभग 90 डिग्री झुका हुआ है (जब 23 अगस्त को शाम 17.47 बजे लैंडिंग प्रक्रिया शुरू होती है) लेकिन इसे लंबवत (लैंडिंग के लिए) होना आवश्यक है. यहीं पर हमें पिछली बार चंद्रयान 2 में समस्या हुई थी.’ लैंडर के लैंडिग की प्रक्रिया जब शुरू होगी तो पहला चरण रफ ब्रेकिंग चरण होगा. यह लगभग 690 सेकेंड का होगा. इस चरण में लैंडर लगभग 1.68 किमी प्रति सेकेंड (लगभग 6048 किमी प्रति घंटे) की गति से यात्रा शुरू करेगा और उसे घटाकर 358 मीटर प्रति सेकेंड (लगभग 100 किमी प्रति घंटे) तक लाया जाएगा. लैंडर का स्पीड (क्षैतिज) कम करने के लिए 400 न्यूटन के 4 इंजन फायर किए जाएंगे. अंतरिक्षयान 690 सेकेंड में लगभग 745 किमी दूर पहुंचेगा जहां उसकी ऊंचाई चांद की सतह से केवल 7.4 किमी रह जाएगी.

एल्टीट्यूड होल्डिंग फेज

इसके बाद दूसरा चरण एल्टीट्यूड होल्डिंग फेज होगा. इसकी शुरुआत चांद की सतह से 7.4 किमी की ऊंचाई पर होगी. इस चरण में लगभग 10 सेकेंड में लैंडर की चांद की सतह से ऊंचाई घटकर 6.8 किमी की जाएगी. इस दौरान गति 336 मीटर प्रति सेकेंड हो जाएगी. इस चरण में 740 न्यूटन के बराबर 4 इंजन फायर जाएंगे.

तीसरा चरण फाइन ब्रेकिंग फेज होगा. इस चरण में लैंडर 6.8 किमी की ऊंचाई से अपनी यात्रा शुरु करेगा और चांद की सतह से लगभग 800 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचेगा. इसमें लगभग 175 सेकेंड का वक्त लगेगा. इस ऊंचाई पर लैंडर का स्पीड शून्य हो जाएगा और वह कुछ देर तक मंडराएगा. यह बहुत ही महत्वपूर्ण चरण होगा. क्योंकि, यहां से लैंडर के सेंसर चांद की सतह पर लेजर किरणें भेजकर लैंडिंग स्थल का मुआयना करेंगे कि, यह स्थल लैंडिंग के अनुकूल है या नहीं. इसके बाद वह चांद की सतह से लगभग 150 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचेगा.

इसके बाद चांद की सतह से 150 मीटर की ऊंचाई लैंडर फैसला लेगा कि उसे इस स्थल पर लैंड करना है या नहीं. अगर लैंडिंग के लिए स्थिति अनुकूल नहीं होगी तो लैंडर वहां से 150 मीटर दूर चला जाएगा और वहां लैंड करेगा. यह आखिरी चरण टर्मिनल डिसेंट फेज होगा. विक्रम 150 मीटर की ऊंचाई से पहले 60 मीटर की ऊंचाई तक आएगा फिर वहां से 10 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचेगा. जब चांद की सतह से ऊंचाई सिर्फ 10 मीटर रह जाएगी तब वह धीरे से लैंडिंग के लिए आगे बढ़ेगा और उस समय उसकी गति केवल 1 या 2 मीटर प्रति सेकेंड रह जाएगी. इसके बाद जब लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा तो उसका कुल वजन 800 Kg रहेगा.

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