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RBI: खुशखबरी! निवेश करना अब होगा ज्यादा आसान, रिजर्व बैंक रिटेल डायरेक्ट स्कीम के लिए लायेगा मोबाइल एप

RBI: भारतीय रिजर्व बैंक जल्द ही निवेशकों की सुविधा के लिए आरबीआई रिटेल डायरेक्ट स्कीम को एक्सेस करने के लिए मोबाइल एप लॉच करने वाला है. इस बात की जानकारी, बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक में लिये गए फैसलों की जानकारी देते हुए दी. रिजर्व बैंक के द्वारा नवंबर, 2021 में आरबीआई की रिटेल ‘डायरेक्ट स्कीम’ लांच की गयी थी. ये व्यक्तिगत निवेशकों को केंद्रीय के साथ गिल्ट खाते बनाए रखने और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने की सुविधा प्रदान करती है. यह योजना निवेशकों को प्राथमिक नीलामी में प्रतिभूतियों को खरीदने के साथ-साथ एनडीएस-ओएम मंच के जरिये प्रतिभूतियों को खरीदने/बेचने में सक्षम बनाती है.

जल्द ही आएगा एप: आरबीआई

केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस पहुंच को और सुगम तथा बेहतर बनाने के लिए रिटेल ‘डायरेक्ट पोर्टल’ की एक मोबाइल ऐप बनाई जा रही है. यह ऐप निवेशकों को अपनी सुविधानुसार, चलते-फिरते उपकरण खरीदने और बेचने में सक्षम बनाएगा. ऐप शीघ्र ही उपयोग के लिए उपलब्ध होगा. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा. महंगाई को चार प्रतिशत पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है. यह लगातार सातवां मौका है जबकि रेपो दर में बदलाव नहीं किया गया है.

2024-25 में 4.5 प्रतिशत पर रहेगी महंगाई दर

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 5.4 प्रतिशत के अनुमान से कम है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए कहा कि इस वर्ष मानसून की स्थिति को सामान्य मानते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

पहली तिमाही में मुद्रास्फीति के 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना है. उन्होंने अप्रैल-जून के बीच ऊंचे तापमान के अनुमान को देखते हुए खाद्य पदार्थों की कीमतों के मोर्चे पर सतर्क रहने की जरूरत बताई है. उन्होंने यह भी कहा कि ईंधन की कीमतों में कमी का असर आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति पर दिखाई देगा. हालांकि, गवर्नर ने कहा कि ऐसा लगता है कि हाथी (महंगाई) टहलने गया है और आरबीआई चाहता है कि वह जंगल में ही रहे.

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