राजनीति

अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद भावुक हुए ललन सिंह, इस्तीफे पर जानें क्या बोले नीतीश कुमार

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद ललन सिंह भावुक हो गए. अपने अध्यक्षीय भाषण में ललन सिंह ने कहा कि मैं और नीतीश कुमार 1984 से साथ हैं. नीतीश कुमार हमारे गार्जियन की तरह हैं. ललन सिंह ने कहा कि वो 6 महीने से ज्यादा वक्त से नीतीश कुमार से कह रहे थे कि वो अपने लोकसभा में समय नहीं दे पा रहे हैं. ऐसे में नीतीश कुमार उनका इस्तीफा स्वीकार कर लें. अब उन्होंने वो इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. तब पूरी कार्यकारिणी ने खड़े होकर हाथ उठाकर समर्थन किया.

वहीं, नीतीश कुमार ने कहा कि वो चाहते तो नहीं है पर सबके आग्रह पर ये जिम्मेदारी और दवाबदेही स्वीकार करते हैं. मैं पूरे देश में पार्टी की मजबूती के लिए काम करूंगा, ताकी लोकसभा में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतें. बीजेपी ने तो हमारे गठबंधन में रहते हुए अरूणाचल, मणिपुर के हमारे विधायक तोड़े.

आज की जेडीयू बैठ में नीतीश कुमार, ललन सिंह, मंगनी लाल मंडल, विजेंद्र प्रसाद यादव, रामनाथ ठाकुर और केसी त्यागी बैठे थे. अफाक अहमद ने बैठक का संचालन किया. फिर संचालन कर रहे अफाक अहमद ने अध्यक्ष के निर्देश पर चारो प्रस्ताव पढ़े.

इंडिया गठबंधन को लेकर लाया गया प्रस्ताव

पहला राजनीतिक प्रस्ताव था. उसमें कहा गया कि नीतीश ने ही इंडिया गठबंधन को जोड़ने की शुरूआत की. मौजूदा केंद्र सरकार संवैधानिक संस्थाओं ओर फैडरल स्ट्रक्चर को कमजोर कर रही है. केंद्रीय सत्ता तानाशाही की तरफ बढ़ रही है. लोकतंत्र और संविधान पर खतरा है. विपक्ष द्वारा संविधान बचाने की बात होती है तो बीजेपी सनातन का मुद्दा उंछालती है. हकीकत ये है कि सनातन के चोले में इन्होंने मनुस्मृति को छिपाकर रखा है और ये चाहते है कि देश बाबा साहेब के संविधान से नहीं बल्कि मनुस्मृति से चले. किसानों, महिला पहलवानों, मणिपुर पर पीएम ने मुंह नहीं खोला.

नीतीश स्पष्ट कर चुके हैं कि उनको पीएम बनने या इंडिया गठबंधन के संयोजक बनने की कोई इच्छा नहीं बल्कि वो विपक्ष को बीजेपी के खिलाफ एकजुट करना प्राथमिकता है. गठबंधन के बड़े दलों ( कांग्रेस) की जिम्मेदारी भी बडी है और गठबंधन को सफल एवं कामयाब बनाने के लिए इन दलों को बड़ा दिल दिखाना होगा. अनुभव एवं कार्य क्षमता के अनुरूप किसी नेता को ज़िम्मेदारी देना हो तो (विपक्षी दलों) उदार बनना होगा.

जाति आधारित जनगणना को बताया ऐतिहासिक पहल

दूसरे प्रस्ताव में कहा गया कि जाति आधारित गणना बिहार की ऐतिहासिक पहल है. देश भर में बिहार की तर्ज पर जाति आधारित जनगणना की मांग की. बिहार सरकार द्वारा आरक्षण का कोटा बढाए जाने को संविधान की नौवी सूची में शामिल करने की मांग की गई.

प्रस्ताव में संसद के शीतकालीन सत्र मे संसद की सुरक्षा में चूक पर गहरी चिंता जताई गई. विपक्ष के सासंदों को सस्पेंड करना बीजेपी सरकार की तानाशाही है. इस प्रस्ताव में इंडिया गठबंधन से सीटों के तालमेल, उम्मीदवारों का चयन, नीतिगत और सांगठनिक मामले में निर्णय के लिए नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से अधिकृत किया गया.

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Related Articles

Back to top button