बिहारमुजफ्फरपुर

BIHAR: रो रहा था बच्चा… चल रही थीं सांसें, डॉक्टर साहब ने थमा दिया डेथ सर्टिफिकेट

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एसकेएमसीएच में एक बच्चे का डेथ सर्टिफिकेट डॉक्टर ने जारी कर दिया जबकि बच्चे की सांसें चल रही थी वह रो भी रहा था. बच्चे को रोता देख परिजनों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया. इसके बाद आनन फानन में उसका इलाज शुरू किया गया. हालाकि चार घंटे बाद बच्चे की मौत हो गई. बच्चे को चार दिन पहले एनआइसीयू में भर्ती कराया गया था.

श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय में मधुबनी सहारघाट गांव के श्रीनारायण राउत ने अपने चार दिन के नवजात को गंभीर हालत भर्ती कराया था. बच्चे को इलाज के लिए NICU वार्ड में भर्ती कराया गया था. बच्चे की हालत गंभीर थी इस वजह से डॉक्टर वेंटिलेटर पर रखकर उसका इलाज कर रहे थे. लेकिन रविवार की शाम र 6:45 बजे डॉ. विनय सागर ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया. बच्चे को वेंटिलेटर से हटा कर उसका डेथ सर्टिफिकेट डॉ.विनय सागर ने जारी कर दिया.

परिजनों ने देखा तो चल रही थी बच्चे की सांसे

इसके बाद परिजनों में हाहाकार मच गया. बच्चे के मां बाप चीख पुकार करने लगे. करीब एक घंटे बाद शव वाहन पर ले जाने के लिए जब परिजन वार्ड में गए तो देखा की बच्चे की सांसें चल रही है, वह रो भी रहा है. इसके बाद परिजनों ने तुरंत इसकी जानकारी नर्सिंग स्टाफ को दी. इधर डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए बच्चे की जिंदा होने की बात सुनकर डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ में हड़कंप मच गया. तुरंत बच्चे को दोबारा भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया. लेकिन चार घंटे बाद 10:50 में डॉक्टरों ने फिर बच्चे को मृत घोषित कर दिया.

50 मिनत तक बिना इलाज के रहा बच्चा

इस मामले में डॉक्टरों के लापरवाही की हद सामने आई. हैरान करने वाले इस घटना के बारे में बच्चे के पिता नारायण राउत ने बताया कि जब पहली बार उसके बेटे को मृत घोषित किया गया तो वह वेंटिलेटर पर था. डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर डेथ सर्टिफिकेट भी दिया गया. 50 मिनट बाद शव ले जाने के गए तो बच्चे की सांसें चल रही थी. इसके बाद उसे फिर भर्ती किया गया. इससे पहले 50 मिनट से अधिक समय तक उसका इलाज नहीं हुआ. पिता ने कहा कि बिना हड़बड़ी किए सही तरीके से जांच पड़ताल की गई होती तो बच्चे की जान बच सकती थी.

उपाधीक्षक ने कहा पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं

वहीं इस मामले में शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष सह अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने कहा कि मामले में डॉक्टर से पूछताछ करेंगे. वेंटिलेटर से हटने पर किसी- किसी केश में ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होती हैं. इसके साथ ही उपाधीक्षक ने कहा कि दो बार डेथ सर्टिफाइड बनाना गलत है. अस्पताल अधीक्षक डॉ. दीपक कुमार ने भी मामले की जांच कराने की बात कही है.

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