राजनीति

नीतीश और बीजेपी में डील फिक्स, चिराग-कुशवाहा का क्या होगा?

बिहार में नीतीश कुमार के महागठबंधन से नाता तोड़कर एनडीए में जाने की पठकथा लिखी जा चुकी है, जिसकी औपचारिक घोषणा किसी भी समय हो सकती है. दिल्ली से लेकर पटना तक बैठकों का दौर जारी है और बिहार के आगे की राजनीति में नफा-नुकसान का आकलन किया जा रहा है. बिहार बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की शनिवार को पटना में बैठक भी बुलाई गई है, जिसमें नीतीश कुमार को दोबारा से साथ लेने पर विचार-विमर्श किया जाएगा. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी होती है तो फिर चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं का क्या होगा?

लोकसभा चुनाव की सियासी तपिश के साथ बिहार की राजनीति भी गर्मा गई है. नीतीश कुमार का महागठबंधन से मोहभंग हो चुका है, क्योंकि आरजेडी और जेडीयू के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है. नीतीश कुमार ने गुरुवार को 15 मिनट में ही बिना किसी फैसले के कैबिनेट बैठक समाप्त कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने अपने आवास पर करीबी नेताओं के साथ बैठक की और अब शुक्रवार को दोपहर के मीटिंग करेंगे. अभी तक की सियासी घटनाक्रम के बाद यह तय माना जा रहा है कि नीतीश महागठबंधन में नहीं रहना चाहते, जिसके चलते उनके पास बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में जाने का विकल्प बचता है.

चिराग पासवान का क्या होगा?

नीतीश कुमार महागठबंधन से नाता तोड़कर एनडीए में एक बार फिर शामिल होते हैं तो चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के साथ किस तरह से बीजेपी संतुलन बनाने का काम करेगी. इसकी वजह यह है कि चिराग पासवान और कुशवाहा को नीतीश कुमार का धुरविरोधी माना जाता है.नीतीश 2020 में जेडीयू की सीटें कम होने के पीछे चिराग पासवान को ही जिम्मेदार मानते रहे हैं. चिराग भी बिहार में खुलकर नीतीश का विरोध और अलोचना करते हैं. चिराग पासवान पहले से एनडीए हिस्सा हैं. 2024 में लोकसभा चुनाव में लड़ने के लिए उन्होंने सीटें भी सेलेक्ट कर रखी हैं.

नीतीश कुमार अगर एनडीए में वापसी करते हैं तो चिराग पासवान के लिए स्वाभाविक तौर पर चिंता बढ़ेगी. नीतीश खुद को बिहार की सियासत में जमीन तलाश रहे हैं. ऐसे में नीतीश की वापसी से चिराग की उम्मीदों को झटका लगेगा. साथ ही नीतीश भी नहीं चाहेंगे कि चिराग को बहुत ज्यादा स्पेस दिया जाए, क्योंकि उनकी पसंद पशुपति पारस हैं. पशुपति पारस दिवंगत रामविलास पासवान के भाई हैं और चिरागा के चाचा हैं. रामविलास पासवान के निधन के बाद चाचा-भतीजे के बीच एलजेपी बंट गई है. कहा जाता है कि एलजेपी के दो धड़ों में बंटवारे के पीछे नीतीश का ही दिमाग था. नीतीश और चिराग की अदावत जगजाहिर है, जिसके चलते देखना होगा कि बीजेपी दोनों ही नेताओं के बीच किस तरह से बैलेंस बनाएगी?

उपेंद्र कुशवाहा क्या करेंगे?

बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए का हिस्सा नीतीश कुमार एक बार फिर से बनते हैं तो फिर जेडीयू छोड़कर अपनी पार्टी बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा का क्या होगा? यह सवाल इसलिए उपेंद्र कुशवाहा किसी समय नीतीश कुमार के सबसे करीबी नेताओं में गिने जाते थे. कुशवाहा जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष थे, लेकिन नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़कर महागठबंधन का हिस्सा बने उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी. इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी बना ली है और बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा बन गए. 2024 में एनडीए के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में है, लेकिन नीतीश कुमार की वापसी करते हैं तो कुशवाहा का क्या होगा?

उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा जगजाहिर है. इसके चलते ही वो कई बार सियासी पाला बदल चुके हैं, लेकिन सियासी सफलता हासिल नहीं कर सके. 2014 में जब पीएम मोदी के चलते नीतीश बीजेपी से अलग हुए तो कुशवाहा हिस्सा बने थे. कुशवाहा जीतकर सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे, लेकिन नीतीश की 2017 में एनडीए में आते ही उपेंद्र कुशवाहा साइड लाइन हो गए थे. इसके बाद उनको एनडीए छोड़नी पड़ गई थी. बिहार में फिर से एक बार वैसी ही सियासी स्थिति बन गई है.

सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार 28 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर दोबारा बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे. नीतीश कुमार सीएम होंगे जबकि बीजेपी कोटे से दो डिप्टीसीएम बनाए जाएंगे. इस दशा में बीजेपी बिहार में अपने सहयोगियों को साधे रखने की चुनौती होगी. नीतीश कुमार की वापसी से चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के लिए कशमकश की स्थिति होगी. इन दोनों ही दलों की बार्निंग पावर भी कम होगी. ऐसे में देखना है कि बीजेपी कैसे बिहार में नीतीश के साथ कुशवाहा और चिराग के साथ संतुलन बनाती है?

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Related Articles

Back to top button