धर्म

Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि पर गणेश पूजन के साथ करें कलश स्थापना, आइए जानते हैं.

Chaitra Navratri 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल पक्ष प्रारंभ होने वाले हैं. कल से देशभर में चैत्र नवरात्रि का पर्व हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाएगा. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की सच्ची श्रद्धा और भक्ति से पूजा और उपासना की जाती है. मान्यता के अनुसार मां दुर्गा की विधि पूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है और मनोकामना पूरी होती है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कैसे करें. आइए जानते हैं.

कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त ( Kalash Sthapana Muhrat)

ज्योतिषाचार्य पंडित वरुण पांडेय बताते हैं कि चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा दिन मंगलवार दिनांक 9 अप्रैल 2024 को कलश स्थापना का शुभ दिन है. कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त में सबसे अच्छी मानी जाती है. अभिजीत मुहूर्त दिन में 11:34 से 12: 24 के बीच रहेगा। इसके अतिरिक्त लाभ की चर्तुघटिका सुबह 10:33 से दिन में 12:08 तक है. अमृत की चर्तुघटिका दिन में 12:08 से 1:42 के मध्य में है इस प्रकार सुबह 10:33 से दिन में 1:42 के मध्य आप कलश स्थापना कर सकते हैं जो आपके लिए शुभकारी रहेगी. कलश की स्थापना और उसकी पूजा से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती और सुख समृद्धि का वास होता है.

कलश स्थापना पूजा विधि ( Kalash Sthapana Puja Vidhi)

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि, एक लकड़ी की चौकी लें और उस चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसको मोली यानी कलावा से चारों तरफ से बांध दें. पाटा पर पीला या सफेद कपड़ा बिछा कर कलावा से बांध दें और पूर्व की तरफ मुख करके बैठ जाएं. अब एक कटोरी में रोली को घोलकर 10 सुपारी को लाल रंग से रंग लें और 200 ग्राम के करीब चावल भी रोली के लाल रंग में रंग लेने हैं. अब एक दूसरी कटोरी में हल्दी लें और 50 ग्राम चावल हल्दी से रंग कर पीले कर लें एवं एक सुपारी भी हल्दी से पीली कर लें. अब चौकी पर लाल रंग के चावल रखकर माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और मूर्ति या प्रतिमा के आगे लाल रंग के चावल की गोल गोल नौ ढेरियां बनाकर उन पर एक-एक लाल रंग की सुपारी को रखकर नवदुर्गा की स्थापना करें.

अब चौकी पाटे पर पीले चावल से स्वास्तिक बनाएं एवं स्वास्तिक के बीच में लाल चावल रखें, इस पर एक मिट्टी की प्याली में एक तरफ लाल चावल और एक तरफ पीला चावल रखें. लाल चावल पर लाल रंग की सुपारी और पीले चावल पर पीले रंग की सुपारी से गौरी गणेश की स्थापना करें. मान्यता के अनुसार, नवरात्रि में गणेश पूजन के साथ ही कलश स्थापना करनी चाहिए.

अब फूल एवं पीला अक्षत लेकर कलश पर चढ़ाकर कलश देवता का आवाहन करें. उसके बाद लाल अक्षत एवं लाल फूल माता की मूर्ति एवं नव सुपारी पर चढ़ाकर नवदुर्गा का आवाहन करें.

मंत्र इस प्रकार हैं

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति. चतुर्थकम्।। पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति.महागौरीति चाष्टमम्।। नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।

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