धर्म

Pitru Paksha 2023: श्राद्ध पक्ष में क्यों करते हैं महालक्ष्मी की पूजा, जानें- क्या है मान्यता?

Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरु होता है और आश्विन मास की अमावस्या तक रहता है. यह समय पूर्वजों की पूजा के लिए बेहद खास होता है. यूं तो पितृ पक्ष में कोई भी शुभ काम करने की मनाही होती है. लेकिन शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध पक्ष के दौरान एक दिन ऐसा भी होता है, जो माता लक्ष्मी के व्रत और उनकी पूजा के लिए शुभ माना जाता है. इसे गजलक्ष्मी व्रत या महालक्ष्मी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन हाथी पर सवार माता लक्ष्मी के गजलक्ष्मी रूप की पूजा-अर्चना होती है. कहते हैं कि श्राद्धपक्ष की अष्टमी तिथि को मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में बरकत होती है और लोगों पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.

श्राद्धपक्ष में क्यों करते हैं महालक्ष्मी?

शास्त्रों के मुताबिक, श्राद्धपक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी पूजा का बेहद खास महत्व है. ऐसी मान्यता है कि आदिशक्ति की लक्ष्मी स्वरूप इसी दिन पृथ्वी पर अपनी यात्रा समाप्त करती हैं. इसके बाद फिर नवरात्रि के पहले दिन से अपनी यात्रा शुरू कर देती हैं. माना जाता है कि पांडवों द्वारा अपना सब कुछ जुए में गंवा दिए जाने पर युधिष्ठिर को भगवान श्रीकृष्ण ने यह व्रत करने की सलाह दी थी. ताकि खोई हुई राजपाट और धन-ऐश्वर्य दोबारा पाया जा सके. गज लक्ष्मी का व्रत-पूजन करने से घर में कभी भी गरीबी नहीं आती. संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही मां लक्ष्मी अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

कैसे करें महालक्ष्मी पूजन?

महालक्ष्मी पूजन के लिए प्रदोषकाल के समय स्नान करके घर की पश्चिम दिशा में लाल कपड़ा बिछाकर एस चौकी रखें. उस पर केसर और चन्दन से अष्टदल बनाएं और वहां चावल रख कर जल से भरा एस कलश रख दें. कलश के पास माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें. मूर्ति के पास मिट्टी का हाथी जरुर रखें. माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र रखना न भूलें.

इसके अलावा सोने-चांदी के सिक्के को भी पूजा वाले स्थान पर जरूर रखें. धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के लिए कमल के फूल का इस्तेमाल करें. इसके बाद माता लक्ष्मी की कुंकुम, अक्षत और फूल के साथ विधिवत पूजा करें.

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