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Ramadan 2023: रमजान का महीना कब से शुरू हो रहा है? जानिए मुस्लिमों के लिए क्यों खास है यह मास

Ramadan 2023 Start Date: इस्लाम धर्म पर विश्वास रखने वाले हर शख्स को माह-ए-रमजान का बेसब्री से इंतजार रहता है। मुस्लिमों के लिए यह सबसे पाक यानी पवित्र महीना होता है। कहते हैं कि रमजान के दौरान की गई इबादत का अन्य महीनों के मुकाबले कई गुना फल मिलता है। इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने रमजान को मुस्लिम धर्म में अत्याधिक पवित्र माना गया है। आपको बता दें कि इस पवित्र महीने की शुरुआत चांद देखने के बाद से होती है। रमजान का महीना कभी 29 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है।

रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। इसके साथ ही तरावीह की नमाज और कुरआन शरीफ पढ़ते हैं। रमजान के दौरान रोजा रखना हर मुसलमान के लिए फर्ज माना जाता हैं। रमजान में जकात का भी विशेष महत्व होता है। जकात का अर्थ है अपनी कमाई का कुछ हिस्सा गरीब और जरूरतमंदों में बांटना। जकात इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक बताया गया है। रमजान में रोजा-नमाज और कुरआन की तिलावत के साथ जकात और फितरा देने का भी खास महत्व है।

रमजान में रोजे का महत्व

रमजान में रोजा रखना हर मुसलाम के लिए खुशी और सुकून का पल होता है।  इस्लाम में बताया गया है कि रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और सभी दुआएं कुबूल होती है। रोजे के दौरान पूरे दिन बिना अन्न और जल के रहना पड़ता है। इतना ही नहीं रोजा रखने वाले को और भी कई बातों का ध्यान रखना पड़ा है। जैसे- रोजा में बुरा देखना, सुनना और बोलने से बचना चाहिए। इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाएं आहत न हो। रोजा सूरज ढलने के बाद शाम के वक्त ही इफ्तार के दौरान खोला जाता है और फिर सहरी खा कर रोजा रखा जाता है। सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहते हैं।

ईद से खत्म होता है रमजान का महीना

रमजान के आखिरी दिन ईद मनाई जाती है। मुस्लिमों का यह सबसे बड़ा पर्व होता है। इस दिन वे नए कपड़े पहनते हैं और ग्रुप में नमाज के लिए मस्जिद जाते हैं। वहीं महिलाएं घरों में तरह-तरह के पकवान बनाती हैं। एक-दूसरे के साथ सेवईयां बांटकर और गले मिलकर ईद मनाते हैं। इस साल ईद 22 या 23 अप्रैल 2023 को मनाई जाएगी।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । टॉप बिहार  एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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