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Mahatma Gandhi: ‘गांधी’ फिल्म के लिए इंदिरा सरकार ने पैसे दिए, संसद में हंगामा हुआ, मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया

Mahatma Gandhi की 30 जनवरी 1948 को हत्या कर दी गई थी. लेकिन उनके विचारों की हत्या लगभग असंभव है. पूरी दुनिया भारत को गांधी के देश के नाम से जानती है. कई लोग ये कहते हैं, दुनियाभर में गांधी को पॉपुलर करने का काम रिचर्ड एटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ ने किया. इसके लिए रिचर्ड ने 20 साल मेहनत की.

इस फिल्म के सिलसिले में रिचर्ड कई बार भारत आए. ‘गांधी’ से जुड़े हुए कई लोगों से मिले. इन्हीं लोगों में से थे नेहरू. नेहरू से मिलने की सलाह उन्हें लॉर्ड माउंटबेटन ने दी थी. पहली बार रिचर्ड 1963 में भारत आए और नेहरू से मिले. उन्हें अपना विजन बताते हुए, उनसे अप्रूवल मांगा. नेहरू ने अप्रूवल देते हुए कहा:

गांधी में तमाम खामियां थीं. रिचर्ड, हमें वो दो. वही किसी इंसान की महानता की पहचान है.

रिचर्ड बताते हैं वो चाय पर नेहरू से मिलने गए. यहां ‘गांधी’ को लेकर कई बाते हुईं. रिचर्ड बाहर निकलकर टैक्सी ढूंढ़ने लगे. तभी पीछे से नेहरू की आवाज आई:

रिचर्ड, एक और बात. तुम्हारी फिल्म में उन्हें ईश्वर की तरह मत दिखाना. हमने यहां उनके साथ यही किया है. वो ईश्वर बनाए जाने के लिहाज़ से बहुत महान इंसान थे.

इस मुलाकात के बाद 1964 में नेहरू की डेथ हो गई. ऐसा लग रहा था कि ‘गांधी’ ठंडे बस्ते में चली गई. पर रिचर्ड अपना काम कर रहे थे. उनकी इस फिल्म पर कोई पैसा लगाने को तैयार नहीं था. बड़ी मुश्किल से फिल्म को प्रोड्यूसर मिले. पर पैसे कम पड़ रहे थे. इसके बाद रिचर्ड इंदिरा गांधी से मिलने आए. यहां उन्होंने अपनी बजट संबंधी समस्या बताई. इंदिरा के पास इस समस्या का हल था. डिसाइड हुआ कि नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया(NFDC) ‘गांधी’ पर लगने वाले पैसे का एक तिहाई लोन के तौर पर देगा. उस वक़्त ये पैसे थे करीब 7 मिलियन डॉलर(हालांकि कहीं-कहीं ये रकम 10 मिलियन भी मिलती है), जो 7 मिलियन आज के अनुसार 58 करोड़ रुपए के बराबर हुए. उस वक़्त के हिसाब से ये रकम थी करीब 7 करोड़ रुपए.

इंदिरा सरकार एक इस फैसले का विरोध हुआ. सबसे पहला विरोध गांधीवादियों ने किया. ‘गांधी’ फिल्म के मेकिंग वीडियो में रिचर्ड बताते हैं:

गांधीवादी नहीं चाहते थे कि महात्मा गांधी पर फिल्म बनाई जाए. फिल्म के विरोध में चिट्ठियां लिखी गईं. एक चिट्ठी में लिखा गया कि कोई इंसान गांधी नहीं बन सकता. अगर आपको फिल्म बनानी है तो उनके किरदार को रोशनी के रूप में दिखा सकते हो.

इंदिरा सरकार का ‘गांधी’ फिल्म के लिए पैसा देना एक बड़ा मुद्दा बन गया. संसद में बहस हुई. फिल्म की मंशा पर सवाल उठे. इसके राजनैतिक लाभ की बात हुई. सरकार से पूछा गया कि आप फिल्म का खर्च क्यों उठा रहे हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पेट्रियट नाम के अखबार को नाराज पब्लिक ने चिट्ठियां लिखीं. इनमें कहा गया कि ब्रिटेन और अमेरिका हमारे खिलाफ साजिश कर रहे हैं, ताकि हमारे कल्चर को लूटकर मुनाफा कमा सकें. मुज़फ्फ़र अली, बासु चैटर्जी, गिरीश कर्नाड और सईद मिर्ज़ा समेत 20 फिल्ममेकर्स ने आईबी मिनिस्ट्री को लेटर लिखा. उन्होंने फिल्म में सरकारी पैसे लगाए जाने की आलोचना की. मामला कोर्ट तक भी पहुंचा. बॉम्बे हाईकोर्ट में रिचर्ड एटनबरो के खिलाफ याचिका दायर हुई. पर फैसला रिचर्ड के पक्ष में ही आया. सरकार की हरी झंडी उन्हें मिल चुकी थी.

इसके बाद फिल्म बनी और क्या कमाल बनी. ऑस्कर्स में इसे 11 नॉमिनेशन मिले. इसमें से 8 ऑस्कर फिल्म ने अपने नाम किए.

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